मुफ्लिसों पे क़यामत किया मत करो
तुम लहू की सियासत किया मत करो
जिस तसव्वुर से नुक्रसान ए इंसान हो
उसको हरगिज हक़ीक़त किया मत करो
यह जरूरी नहीं हीज्र सबको मिले
क्यों कहूं मै मोहब्बत किया मत करो
मुझसे मेरी बुराई करो सामने
पीठ पीछे शीकायत किया मत करो
मेरी दुश्रारियां पर तुम आसानीयां
बेवजह की इनायत किया मत करो
हम हैं वाक्रिफ़ तुम्हारे किरदार से
सो ये झूठी शराफत किया मत करो
जीसमें दिल ही ना सजदे में जाए कभी
ऐसी सबक़त इबादत किया मत करो
BY – अज़हर हाशमी सबकत