चाय का प्याला और इतवार की सुबह ,आज की भागती दौड़ती ज़िंदगी में सुकून के दो पल। आज जब एक मील के पत्थर पर सांस ले रहे हैं तो ख्यालों का पूरा एक पुलिंदा ज़हन में घूम रहा है। कितना कुछ होता है एक ज़िंदगी में करने को बस अगर ज़िंदगी मौका दे दे। या यूँ कहें की हम समय रहते हर पल को भरपूर जी लें और बाद में इस “अगर ” की गुंजाईश ना रहे।
ये अगर-मगर , किन्तु-परन्तु , ऐसा-वैसा इन सबकी कुछ ऐसी कारस्तानी है की ज़िंदगी में से ज़िंदगी कब फिसल जाती है हमें खबर नहीं रहती।
बचपन में अगर बड़ों की बात सुन लेते तो …
स्कूल में अगर टीचर की बात मान लेते तो …
जवानी के जोश में अगर मन की न सुन कर दिमाग की सुन लेते तो…
ऐसे बहुत से अगर होते हैं और हर इस अगर के साथ मगर भी जुड़ा होता है जो इंसान का खुद का लिया हुआ फैसला होता है। अब वो फैसला कितना सही कितना गलत है ये अलग बात है, किन्तु अपने फैसले के साथ ज़िंदगी जीने का अपना अलग मज़ा होता है या सलमान भाई की ज़बान में कहें तो “एक अलग किक” मिलती है।
अब ये ज़िंदगी के छोटे छोटे पलों को भरपूर जी लेने की ज़िद हो या ज़िंदगी के मिले हुए वक़्त में से वक़्त निकाल कर कहीं बदलाव लाने की चाह हो । कहीं पहले मौका न मिल पाने की कसक हो, किसी भी उम्र में नई शुरुआत करने की हिम्मत हो या फिर अपनी मुश्किलों से हार न मान कर आगे बढ़ कर अपने सपनों को साकार करने की ललक।
कितनी कहानियां है हमारे आस पास जो कहनी ज़रूरी है। ये कहानियां भले ही न्यूज़पेपर के पन्नो तक नहीं पहुंची, किसी चैनल की खबर नहीं बनी या किसी बड़े सम्मान के लिस्ट में नहीं आयी लेकिन ये वो कहानियाँ हैं जो कहनी ज़रूरी हैं क्योंकि क्या पता किसी एक की कहानी किसी और हारती हुई उम्मीद को हिम्मत दे जाये।
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दुनिया को उम्मीद की हर किरण और रोशन करती है। आईये ऐसी खूबसूरत कहानियों से दुनिया को रौशन करें।