गरिमा जी एक स्कूल टीचर और जानी-मानी लेखिका थी, कहानी ऐसी लिखती कि लोगों के जेहन में वो किरदार जीवित हो उठते। फेसबुक पेज पर काफी एक्टिव थी। रोज कहानी या कविताएं जरूर पोस्ट करती। उनके पाठक गणों की संख्या काफी थी।
ऐसी ही इक नई कहानी की शुरुआत उन्होंने की, उस कहानी का शीर्षक -” भंवर “था। अभी एक भाग लिखकर फेसबुक पर पोस्ट किया तो पाठक अगले भाग का बेसब्री से इंतजार करने लगे और जोर देने लगे कि आज ही अगला भाग भी पोस्ट करें। गरिमा जी मन ही मन बहुत खुश हुई कि लोग उनकी लिखी रचनाओं को बहुत पसंद करते हैं। पाठकों की पुरजोर फरमाइश पर गरिमा जी ने स्कूल का काम निपटाकर फटाफट स्कूटर निकाली और सोचा… घर जाकर अगला भाग लिखकर पोस्ट कर दूंगी। इसी चक्कर में हेलमेट पहनना भूल ही गई।
गाड़ी की स्पीड काफी तेज कर दी दुर्भाग्यवश उनकी गाड़ी बस की चपेट में आ गई और सर में काफी चोट आई, सिर से खून की धारा बह निकली। कुछ लोगों ने एम्बुलेंस को बुलाया और उन्हें अस्पताल ले गये। गंभीर हालत देख उन्हें तत्काल आईसीयू में भर्ती किया गया, डाॅक्टरों की जांच – पड़ताल के बाद पता चला कि वो कोमा में चली गई।
उनके घरवाले भी पहुंच गये, परिवार वालों के पूछने पर डाॅक्टर ने बताया कि वो एक दिन में भी कोमा से बाहर आ सकती है, साल दो साल भी लग सकते है या ताउम्र कोमा में ही रहेंगी। उनके परिवार जन, डाॅक्टर के इस जवाब से निराश हो गए।
रोज उनके पति और बेटी आकर उनके पास बैठते और शाम होते ही दोनों घर चले जाते। दिन बीते और महीने, फिर एक दिन अचानक… गरिमा जी की दिमाग में कुछ हलचल सी हुई।
“अरे गरिमा जी, अब उठ भी जाइए.. कब तक यूंही लेटी रहेंगी? हमारा क्या? आपने तो हमें मझधार में ही छोड़ दिया। क्या मेरा प्यार रोहन मेरा सच्चा जीवनसाथी बनेगा? आपने कहानी के पहले भाग का अंत इसी लाइन से की थी, अब अगले भाग का क्या? आप होश में आइए तभी तो मुझे रोहन के सच्चे होने का प्रमाण मिल सकेगा।”, ये उनकी लिखी कहानी की नायिका जानकी के बोल थे।
कहानी की दूसरी किरदार अवनि भी आ गई और बोला, ” क्या रोहन मेरा नहीं होगा? मैं तो रोहन को दिल से चाहती हूं, क्या मेरे प्यार का कोई मोल नहीं? क्या मैं सिर्फ त्याग की मूर्ति बनी रहूंगी? बोलिए.. बताइए गरिमा जी।
तभी कहानी का मेल कैरेक्टर रोहन बोल उठता है..” कैसे भवंर में मुझे डाल दिया आपने? क्या मैं अवनी और जानकी के बीच फंसकर रह जाऊंगा? मेरी समस्या का समाधान कैसे होगा? गरिमा जी होश में आइए, ऐसी परिस्थिति में हम आपको कहीं नहीं जाने देंगे। इसी तरह एक – एक करके उनकी नई कहानी के अन्य किरदार भी उन्हें झकझोरने लगे, हमारे सवालों का जवाब दिजिए। “
तभी उस कहानी का नौकर हरिया आया और बोला, “लेखिका साहिबा हमने तो कपड़े धो लिए, आप कोमा से बाहर आए तो सुखाने भी जाए।”
इतने सारे किरदारों ने मिलकर इतनी तू – तू , मैं – मैं की, कि लेखिका साहिबा की पल्स में कुछ हरकत हुई और मशीन में हरी बत्ती बजने लगी। तभी वहां बैठी नर्स ने डाॅक्टर साहब को बुलाया। डाॅक्टर साहब आए तो बाहर बैठे परिवार जनों में खलबली सी मच गई। सब आईसीयू वार्ड के दरवाजे पर खड़े डाॅक्टर साहब का इंतजार करने लगे। उधर कमरे के अंदर डाॅक्टर साहब ने मरीज की नब्ज चेक की और धीमे से मुस्कुराए.. फिर क्या था, रोहन खुशी के मारे अवनी से लिपट कर अपनी खुशी जाहिर करने लगा और हरिया….जानकी से लिपट कर लेकिन जल्दी ही सारे किरदार वापस अपनी-अपनी जगह पर आ गए।
डाॅक्टर साहब ने बाहर आकर उनके परिवार जनों को खुशखबरी दी कि गरिमा जी जल्दी ही कोमा से बाहर आ जाएंगी। परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई। कोमा से बाहर आते ही गरिमा जी को घर ले जाया गया और स्वस्थ होने पर, सबसे पहले उन्होंने कहानी को आगे बढ़ाया, आखिर उन्हीं पात्रों की वजह से तो वो कोमा से वापस आई थी।
कहानी के रोचक अंत को पाकर पाठक गदगद हो गये। आप भी जानना चाहेंगे कि आखिर कहानी के अंत में रोहन किसका हुआ … अवनि या जानकी?
तो अंतिम में रोहन की सच्ची जीवन साथी बनने का सौभाग्य अवनि को मिला क्योंकि वो रोहन से निस्वार्थ प्रेम करती थी जबकि जानकी सिर्फ अपनी जिद पूरा करना चाहती थी।
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