“मि. यादव” जब नर्स ने मुझे आवाज दी तो मैं चौक उठा।
“कुछ प्रोसेजर्स बाकी है हमारी उसके बाद आप बॉडी ले जा सकते है”
“बॉडी? वो सिर्फ बॉडी नही है, वो मेरी ज़िन्दगी है , मेरा प्यार मेरा जुनून सब कुछ है?” मेरा दिल जैसे चीख उठा पर अल्फ़ाज़ लबों तक नहीं आये। मैं हॉस्पिटल में बेड के पास रखी कुर्सी पर फ़िरदौस का हाथ अपने हाथ में थामे जैसे बेसुध हुआ सा बैठा था और फिरदोस, मेरा प्यार, मेरी पत्नी, आँखे बंद किये मेरे सामने थी।
डॉक्टरों ने जवाब दे दिया था पर मुझे उम्मीद थी कि वो उठेंगी, वो मुझे यू तन्हा छोड़ कर नही जा सकती, बहुत शिकायतें थी मुझे उससे और उसे हर शिकायत का जवाब देना होगा! क्या कमी थी हमारे रिश्ते में? या मुझसे कोई गलती हुई थी? मैं इन्ही खयालो में था कि तभी मेरे सबसे करीबी दोस्त मि. कपाड़िया वहां आये। मेरे कंधे पर हाथ रख कर उन्होंने कहा,”महेन्द्र, होनी को कोई टाल नहीं सकता, समझ लो भगवान की यही मर्ज़ी थी।”
‘भगवान की मर्ज़ी? मेरे मन मे ये सवाल उठा। क्या ये भगवान की मर्ज़ी थी कि मेरी फ़िरदौस मुझसे दूर हो जाये? जो चार साल पहले अपना सब कुछ छोड़ कर मेरे पास आ गयी थी वो खुद मुझे यू छोड़ कर चली जायेगी क्या यही उस भगवान की मर्ज़ी है? क्या यही उसकी मर्जी है कि फिरदोस ने खुद ही खुद की जान लेली? मेरी फ़िरदौस ज़िन्दगी से ऐसे कैसे हार सकती है?’
“माही!” फ़िरदौस मुझे प्यार से इसी नाम से बुलाती थी। “माही, मुझे लद्दाख जाना है।”
रिलेशनशिप के तीन साल और शादी के चार साल में न जाने कितनी बार फ़िरदौस ने मुझसे ये कहा था। उसको पहाड़ बहुत पसंद थे। फिक्स लाइन्स थी कि हम वहां पहाड़ो पर बाहो में बाहे डाले घूमेंगे। रात को फायर के पास बैठ कर रेड वाइन पियेंगे और एक-दूसरे को अपनी लिखी कविताये सुनाएंगे।
रिलेशनशिप के तीन साल तक ये सोचते थे कि शादी के बाद जाएंगे वहाँ और शादी के बाद कभी फैमिली, कभी कोई काम कभी कोई फंक्शन और इसी वजह से प्लान हर साल पोस्टपोन हो जाता था। पर लास्ट वीक जब उसने मुझे ये कहा तब मैंने सारा काम छोड़कर यहाँ आने की तैयारी कर ली। फ्लाइट और होटल की बुकिंग कर ली और रूम का लोकेशन बिलकुल उसकी पसंद का, जिसकी खिड़की से सनराइज दिखता हो। दो दिन पहले जब में और फ़िरदौस लदाख आये तब फ़िरदौस बहुत खुश थी और उसको खुश देख कर में ओर भी ज़्यादा खुश था।
अगले दिन हम पहाड़ो पर घुमने गए थे। पहाड़ो पर चढ़ते हुए उसकी सांसे फूलने लगी थी वो आगे नहीं बढ़ पा रही थी। हम वही एक जगह बैठ गए उसने अपना सर मेरे कंधे पर रख दिया, मेरा हाथ अपने हाथ में थाम लिया और अपनी आँखें बंद करली। मेरा दिल अचानक से घबरा गया मैंने उसके गालो को छुआ तो उसने कहा,
“पता है Chennai Express मूवी में शाहरुख खान, दीपिका को गोद मे उठा के पहाड़ चढ़ जाता है। “मैंने हैरानी से उसकी और देखा, उसने भी मुझे देखा और हँसने लगी और कहने लगीं,” चलो अब मुझे भी गोद मे उठाओ” और वो मेरे कंधे पर किसी बच्चे की तरह चढ़ गई।
” यही तो थी मेरी फिरदोस, छोटी छोटी बातों में हँसना, बच्चों जैसी हरकते करना, कभी बेवजह ही रूठ जाना और कभी घर के बड़ो से भी ज़्यादा समझदारी की बातें करना।”
हमारा आगे का सफर मेरे कंधे पर ही तय हुआ। वो कभी मेरे गाल खिंचती कभी मेरी गर्दन को चूमती तो कभी मुझे राजा विक्रम और खुद को बेताल बता कर मुझे कहानिया सुना रही थी।
शाम को हम होटल रूम पर रिटर्न् हुए। डिनर करने के बाद हम दोनों फायर के पास बैठे हुए थे। फिरदोस के पैर ठंड की वजह से काफी सर्द हो गए थे तो मैं उसके पैरों के पास बैठ कर उनको अपने हाथों से गर्म करने की कोशिस कर रहा था।
“माही, ये क्या कर रहे हो? चलो, उपर बैठो।”
” तुम्हारे पैर कितने ठंडे हो गए है फ़िरदौस! तुमको सर्दी लग जायेगी और बुख़ार भी तो हो सकता है ना?”
” कुछ नहीं होगा मुझे और कब तक तुम मेरी यू फिक्र करते रहोगे? इतनी फ़िक्र मत किया करो माही”
मैंने एक नज़र उसके सामने देखा। उसने फ़िर कहा “अब तुम क्या देख रहे हो? चलो अपनी डायरी ले कर आओ और मुझे अपनी कविताये सुनाओ!” मैं जाकर अपनी डायरी ले आया और बैठ गया कि अचानक से मेरा ध्यान गया और मैंने उससे पूछा, “तुम्हारी डायरी कहा है?”
“वो मैं बैग से निकलना भूल गयी हूँ , कोई बात नहीं कल निकाल लेंगे और वो तुम मुझको पढकर सुनाओगे, ठीक है। चलो आज तुम कुछ सुनाओ ना!”
मैं अपनी डायरी खोल कर कविता पढने लगा।
फ़िरदौस मुझे बहुत ध्यान से सुन रही थी। कुछ था आज उसमें जो बाकी दिनो से काफ़ी अलग था। एक अजीब सी गहराई थीं आज उसकी आँखों मे। उसके चेहरे पर कुछ था जो मैं पढ़ नही पा रहा था। मेरी कविता में जब कभी उसका नाम आता तो वो मुस्कुरा देती थी लेकिन उस मुसकुराहट मे कुछ था! कुछ अधूरा सा, जो दिखाई नही दे रहा था। कुछ देर बाद हम दोनों सोने चले गए। अपना सिर मेरे सीने से लगाये उसने अपनी बाहों में मूझे आज घेर लिया था और मैं अपनी उंगलियों से उसकी ज़ुल्फो को सहला रहा था।
” माही “
” हम्म”
” I Love You “
” I Love You Too my bachcha “
” माही, बहुत प्यार करती हूं तुमसे मैं, तुमसे कभी भी दूर नहीं जाना चाहती “
” तो कौन तुमको मुझसे दूर कर रहा है? “
उसने मेरे सामने देखा और पूछा,” हंमेशा ऐसे ही रहोगे ना तुम? मेरे साथ? “
” Till my last breath baby ” मैंने इतना कहा तो उसने अपना हाथ मेरे होठों पर रख दिया। उसने थोड़ा सा उठ कर मेरा माथा चूम लिया। उसकी ज़ुल्फ़ें मेरे चेहरे पर आ गिरी थी। उसकी महक से मेरा मन सराबोर हो चुका था। उसकी साँसों को में अपने चेहरे पर महसूस कर रहा था। कितनी गर्माहट थी उसकी छुअन में।
उसने जब मेरे सामने देखा तब उसकी आँखें भर आयी थी मैं हैरान हो कर उससे कुछ पूछता उससे पहले ही उसने अपने होठों से मेरे होठो को चूम लिया। उस रात फिरदोस जैसे अपना सारा प्यार मुझपर लुटा रही थी और मैं भी उसे अपनी पूरी शिद्दत से चाह रहा था।
सुबह के करीब 5:30 बज रहे थे। मुझे अपनी बाहों में मेरी फिरदोस महसूस नही हुई। लगा जैसे मैने बर्फ़ के पहाड़ पर किसी बेजान पेड़ को छू लिया हो। मुझे लगा मेरा दिल अब धड़कना छोड़ देगा। फ़िरदौस का बदन एक दम ठंडा पड़ गया था लेकिन उसने अभी तक मुझे अपनी बाहों से अलग नही किया था।
उसके चेहरे पर कोई शिकन नही थी बस एक मुस्कुराहट थी जिसमे सुकून था। मैं उसे तुरंत हॉस्पिटल ले आया । डॉक्टर ने जांच की तब पता चला कि उसने नींद की गोलियों का ओवरडोज़ ले लिया था और यही रास्ता चुना था उसने इस दुनिया से निजाद पाने के लिए।
पर क्यों? बस यही सवाल बार बार मेरे मन मे उठ रहा था।
फ़िरदौस को हॉस्पिटल से हमारे शहर कानपूर शिफ्ट करना था, मैं हमारा समान लेने होटल रूम पर आया। समान पैक कर ही रहा था कि मेरा ध्यान उसकी डायरी पर गया। मैं बेड के एक किनारे बैठ कर उसे पढ़ने लगा।
उसमे कोई कविता नही थी बस कुछ यादें थी जो उसने डेट और टाइम के साथ नोट की हुई थी । पढ़ते पढ़ते जब मैं आज की डेट पर पहुँचा तो वहाँ कुछ था जो मेरे नाम पर लिखा था उसने,”
” MY LOVE MAHI,
जब तुम ये पढ़ रहे होंगे तब में वहा हाज़िर नही होऊंगी। जानती हूं तुम्हे बहुत शिकायत होगी मुझसे के मैंने ऐसा क्यों किया?, माही, मुझे पता है कि मौत किसी भी मुश्किल का हल नही होती पर किसी की नज़रों के सामने तिल तिल कर मरने से अच्छा है कि इंसान एक ही पल में सुकून से मर सके। हाँ माही, इस पल जो तुम सोच रहे हो वो बिल्कुल सही है कि मुझे पता चल गया है कि मुझे क्या हुआ है, मेरी मेडिकल फ़ाइल जो तुमने मुझसे छुपा कर रख दी थी वो एक दिन मेरे हाथ लग गयी थी।
मुझे पता है माही के मेरे पास बहुत कम वक्त था और तुम्हे शिकायत होगी कि वो वक़्त मैंने अपने इलाज और तुम्हारे साथ बिताने के बजाय ऐसा कदम क्यो उठाया तो, माही मुझे पता है कि मैं बच नही पाउंगी और कहते है कि इंसान की वो छाप हंमेशा याद रहती है जो उसकी आखरी होती है। मैं तुम्हारे सामने रोज़ एक नई मौत नही मरना चाहती थी माही।
मैं नही चाहती कि तुम मुझे ICU में वेंटिलेटर पर अपनी आखरी साँस लेता हुआ याद करो। उस पहाड़ पर तुमने मुझे उठा लिया था माही , पर मैं एक बुरी याद बन कर तुम्हारी ज़िन्दगी पर बोझ नही बनना चाहती। मैं चाहती हूँ के मेरा माही मुझे उस पल से याद करे जिस पल में प्यार था, जिस पल वो मेरा हो गया और मैं उसकी, जिस पल में खुशी थी, जो पल इस दुनिया से दूर बस हम दोनों में ही सिमटा हुआ था।
तुम्हारे साथ बिताया हुआ वो हर पल मेरे लिए इस ज़िन्दगी से भी ज़्यादा एहम है माही। तुमने तो मुझे इतना प्यार दिया है कि जितना तो मैंने ख्वाब में भी नही सोचा था।
बस अब एक आखरी बार अपने बेताल को कंधे पर उठा लेना पर अब वो बेताल तुम्हे कहानियां नही सुना पायेगा।
अपना खयाल रखना मेरी जान।YOUR FIRDAUS LOVES YOU SO MUCH”
Your Love
Firdaus (Mrs. Yadav)
” ये लम्हे मेरी ज़िंदगी के कम ही सही,
पर तेरी मोहोब्बत का गुरुर है मुझे ;
गर मिले तेरी बाहो में इस क़दर,
तो ऐसी हज़ारो मौत भी कुबूल है मुझे।”