आज मौसम बहुत ही सुहावना था । आसमान में छाए कारे बदरा उमड़ घुमड़ कर बरसने का मन बना रहे थे। हम अपनी छत पर जैसे ही मौसम का आनंद लेने पहुंचे तो देखा सामने वाले घर में आये हुए नये पड़ोसी मिश्रा जी भी अपनी धर्म पत्नी के साथ मौसम का आनंद उठा रहे थे। मिश्रा जी और उनका परिवार काफी सज्जन लोग हैं। कानपुर के रहने वाले मिश्रा जी करीब एक महीने पहले ट्रांसफर होकर हमारे शहर सीतापुर आए हैं।
हमने अपनी छत से ही आवाज लगाते हुए कहा,
“हां भाई मिश्रा जी क्या हाल-चाल मौसम का आनंद उठाया जा रहा है भाभी जी के साथ…।”
“जी हां शुक्ला जी… मौसम बहुत खुशगवार था तो सोचा क्यों ना मौसम का लुत्फ़ उठाया जाए… इसलिए गरमा गरम पकोड़े बनाकर लाए हैं अभी…. आइए आप भी इसका जायका लीजिए और बताइए कि हम पाक कला में निपुण हैं या नहीं …और हां भाभी जी को भी लेते आइए…।”
हम और हमारी धर्मपत्नी झट से उनके आमंत्रण को स्वीकार करके उनके घर पहुंच गए….।
मिश्रा जी ने बहुत गर्मजोशी से हम लोगों का स्वागत करते हुए अपनी धर्मपत्नी जी से बोला,
“मल्काइन जब तक हम गरमा गरम अदरक वाली चाय और पकौड़े लेकर आते हैं तब तक आप शुक्ला जी और भाभी जी से गुफ्तगू जारी रखें….”
हमारी पत्नी सुनंदा यह देखकर हतप्रभ रह गई की मिश्रा जी रसोई घर में जा रहे हैं और मिश्राइन इतने आराम से बैठ कर मुस्कुरा रही हैं….।
दस मिनट बाद ही मिश्रा जी बैंगन और भरवा मिर्ची के पकोड़े साथ में अदरक वाली कड़क चाय लेकर हाज़िर हो गए । वाकई क्या लजीज पकोड़े बनाए थे मिश्रा जी ने और चाय तो वाह, वाह , वाह सुभान अल्लाह…हमारी धर्मपत्नी तिरछी नजरों से हम को देखते हुए गपा गप पकोड़े ऐसे खाए पड़ी थी जैसे वह पकौड़े खा नहीं रही हमको मार रही हो और हमसे कह रही हो कि सीखो मिश्रा जी से कि अपनी पत्नी को कैसे प्रसन्न रखते हैं… एक आप हो पूरे के पूरे काहिल इंसान जो हमको कोल्हू के बैल की तरह सारा दिन घर में जुताएं रहते हों ।
हमने आंखों ही आंखों में कतार भाव लिए धर्मपत्नी जी को याचना भरी नजरों से देखा ताकि वह अपना मिज़ाज ठंडा रखे जिससे हमारी थोड़ी इज्जत मिश्रा और मिश्राइन के आगे बनी रहे वरना जैसे तेवर थे उनके कि हमको पक्का पता था कि घर जाकर यह महारानी कैकई का रुप धर आज कोप भवन में जरूर विराजेंगी…कि तभी मल्काइन मिश्रा जी की डिमांड पर दोबारा चाय बनाने चली गई साथ में हमारी धर्मपत्नी जी को ले गई ।
हमने एक लंबी राहत की सांस ली और मिश्रा जी से कहा,
“मिश्रा जी पकोड़े तो बड़े लजीज बनाए आपने… भाभी जी ने सिखाया क्या… हमको देखिए पानी तक गर्म नहीं कर पाते गैस पर …. और वैसे भी आज छुट्टी के दिन आप क्यों काम कर रहे थे…भाभी जी है ना काम करने के लिए… घर वालियों को इतना सर चढ़ाने से वो सर पर चढ़ कर नाचने लगती हैं ….।
मिश्रा जी ने जोर का ठहाका लगाते हुए बोले, “शुक्ला जी जब हम छोटे थे तो हमारी अम्मा सारा दिन सबकी जी हुजूरी में लगी रहती थी। काहे की दादी के अलावा कोई दूसरी औरत ही नहीं थी हमारे घर में। जब भी हम अम्मा को काम की थकान से लस्त पस्त देखते तो दौड़कर अम्मा के लिए पानी का ग्लास ले जाते और अम्मा के ही आंचल से उनके चेहरे का पसीना पोछतें और अम्मा से बस इतना कहते,,, मेरी अच्छी अम्मा आज बहुत थक गई हो ना.. थोड़ा बैठ जाओ सुस्ता लो और यह पानी पी लो… मेरी वह बात सुनकर अम्मा के चेहरे पर जो खुशी आती थी न वह अम्मा के चेहरे से तुरंत थकान मिटा देती थी…. और अम्मा हम को कलेजे से लगा लेती थी और कहती थी बिटवा हमेशा ऐसे ही रहना।”
“शुक्ला जी वह कहावत है ना आदमी के दिल का रास्ता उसके पेट से होकर जाता है तो समझ लीजिए औरतों के दिल का रास्ता उनके प्रति परवाह जताकर जाता है…. शुक्ला जी यह औरतें सिर्फ और सिर्फ अपने परिवार के लिए जीती हैं… अगर हम कभी कभार इनके काम में मदद करा दें तो यह हम पर निछावर हो जाती हैं… और इतना भर करने से हमारा ओहदा कहीं घट नहीं जाएगा । कभी-कभी प्रेम करने के साथ साथ दिखाना भी पड़ता है। आज मौसम अच्छा था तो हम दोनों मियां बीवी ने मिलकर गरमा गरम नाश्ता तैयार कर लिया । हमारी मल्काइन खुश तो हम भी खुश और फिर आज तो आपका साथ भी हो ही गया । क्यों शुक्ला जी सही कह रहे है ना हम!”
“वाकई में मिश्रा जी काबिले तारीफ है आप। और आज आपने जो खुशियों की कुंजी हमें दी है ना हम भी जल्द ही उस पर अमल करना शुरू कर देंगे।”
“यह हुई ना बात तो अगले इतवार आपके घर चाय पक्की वो भी आपके हाथों की उम्मीद करता हूं इस एक सप्ताह में आप चाय बनाना जरूर सीख जाएंगे… ठाहका लगाते हुए मिश्रा जी बोले….।
यह पूर्णतया काल्पनिक कहानी है।
To read more from Author
कलामंथन भाषा प्रेमियों के लिए एक अनूठा मंच जो लेखक द्वारा लिखे ब्लॉग ,कहानियों और कविताओं को एक खूबसूरत मंच देता हैं।लेख में लिखे विचार लेखक के निजी हैं और ज़रूरी नहीं की कलामंथन के विचारों की अभिव्यक्ति हो।
हमें फोलो करे Facebook
हमें फोलो करे https://www.kalamanthan.in/
Awesome